Tuesday, October 11, 2016

"मार्गदर्शक मंडल"

जीवन में मार्गदर्शन की बहुतै जरूरत होती है भाई साब ।काय से कि सही मार्ग होगा तब ही तो चलोगे ।मार्गों के साथ ये दिक्कत है कि वे बहुत सारे होते हैं ।आदमी किस मार्ग पर चले ।चले भी कि एक ही जगह पर खड़ा रहे ।कुछ समझ में नहीं आता यार ,बहुतै कन्फ्यूजन जैसा मचा है ससुरा । इसी कन्फ्यूजन की वजह से कुछ लोग एक ही जगह पर खड़े रहते हैं |और तब तक खड़े रहते हैं जब तक उन्हें इतिहास की झाड़ू कूड़ेदान में न फेंक दे | ये थमें हुए लोग होते हैं | इन्ही लोगन के लिए सुधि जन कहते आ रहे हैं कि एक रास्ता है जिंदगी जो थम गए तो कुछ नहीं
प्रश्न उठता है कि वह कौन सा रास्ता है जिसके बलबूते पर इन रुके हुए लोगों को ठिकाने लगाया जाये |इसका जवाब है मार्गदर्शक मंडल |।राजनीति में मार्गदर्शक मंडल ऐसे ही थोड़े बन गया।उसके पीछे बहुतों का दिमाग़ है ।बल्कि कई तो ऐसे हैं जिनके पास अपना कोई दिमाग नहीं है फिर भी वे मार्गदर्शक मंडल बनाने पर जोर देते रहते हैं । यह सब उम्र का तकाजा है भाई साब | देखिए राजनीति में मार्गों की कोई कमी नहीं होती ।वाममार्ग और दक्षिणपंथ तो खैर पहले से ही घोषित हैं लेकिन इसके अलावा भी ढेरों गली गोचे और पगडंडियां हैं ।जो कंटीली भी हैं और फिसलन भरी भी ।ऐसे में यदि कोई मार्ग बताने वाला न हो तो आदमी तो गया काम से ।इधर जिस पार्टी के पास मार्गदर्शक मंडल होता है उसके मजे हैं ।कोई सा भी मार्ग पकड़ लो कहीं भी निकल लो । भटक गए तो मार्गदर्शक मंडल तो है ही ।जय हो मार्गदर्शक मंडल ।
लेकिन कृपाशंकर जी दूसरी ही कहानी बताते हैं ।वही वाले कृपाशंकर जो अब तक सैकड़ों पार्टियों में रह चुके हैं और कई दलों से निकाले जा चुके हैं तथा फिलहाल उस पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में घुसने को आतुर हैं जो उन्होंने वर्षों पहले टिकिट न मिलने के कारण छोड़ दी थी |।उन्होंने बताया कि मार्गदर्शक मंडल देखा जाये तो श्रद्धेय टाइप के लोगों का एक ऐसा गिरोह होता है जो चलते चलते ठिठक से गए हैं और उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है ।ऐसे लोगों को राजनीति में मार्गदर्शक मंडल में घुसेड़ दिया जाता है ।ये वास्तव में भटके हुए लोग हैं जिनके बताये मार्ग पर कोई भूलकर भी नहीं चलता । इनके हाथ में एक ऐसी टार्च दे दी जाती है जिसकी बैट्री उतार पर होती है जो रौशनी कम देती है और धुंधलका ज्यादा फैलाती है ।
मैंने कहा फिर ये मार्ग दर्शन कैसे करते हैं ।कृपाशंकर जी ने कहा कौनो मार्गदर्शन नहीं करते साब ।एक जगह बैठे बैठे उन मार्गों का दर्शन करते रहते हैं जिन पर चलकर लोग मंत्री पद को प्राप्त करते हैं तथा ये लोक और परलोक दोनों ही सुधार लेते हैं ।यही मार्ग दर्शन कहलाता है ।भारतीय दर्शन में जिसे वानप्रस्थ कहते हैं ना राजनीति में उसे मार्गदर्शक मंडल कहा जाता है ।सच तो यह है कि पार्टी की वर्षगांठ पर मीडिया के सामने इन्हें माला वाला डालकर थोडा भेंट पूजन कर लिया जाता है फिर उसी जगह डाल देते हैं जहाँ हाथ को हाथ नहीं सूझता ।मैंने कहा फिर आप क्यों मार्गदर्शक मंडल में जाना चाहते हैं ।उन्होंने कहा भैया पिचहत्तर पार कर गए अब क्या करें ,इस पापी पेट के लिए कुछ तो करना पड़ेगा |इतना कहकर वे अपना बड़ा सा पेट दिखाने लगे |

No comments:

Post a Comment